नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इसपर नाराजगी व्यक्त करते हुए अर्थहीन करार दिया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने दोबारा याचिका दायर करने को कहा और सुनवाई टाल दी। अब दोबारा याचिका दायर करने पर अगले हफ्ते सुनवाई की जाएगी।
आधे घंटे पढ़ने के बाद भी समझ नहीं आई याचिका
चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता से कहा, ‘मैंने आपकी याचिका को आधे घंटे तक पढ़ा लेकिन समझ नहीं आया कि यह किस बारे में है।‘ कोर्ट ने याचिकाकर्ता एम एल शर्मा से पूछा, ‘यह याचिका क्या है, किस तरह का है।’ जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म किए जाने के सरकार के फैसले के एक दिन बाद ही पेशे से वकील एम एल शर्मा ने चुनौती दी और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किया। अपनी याचिका में उन्होंने पूरे राज्य में मोबाइल इंटरनेट एवं लैंडलाइन सेवाओं समेत संचार के सभी माध्यमों को बहाल करने के निर्देश देने की भी मांग की है।
घाटी में पत्रकारों पर पाबंदी
घाटी में पत्रकारों पर लगी पाबंदी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाए जाने के बाद यहां पाबंदियां लगाई गई थीं। सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘सुरक्षा एजेंसियां वहां के हालात का जायजा प्रतिदिन ले रही हैं। हम वास्तविक हालात को जानते हैं।’ पत्रकारों के लिए यह याचिका कश्मीर टाइम्स की एक्जीक्यूटिव एडिटर अनुराधा भसीन ने दायर की है। सीजेआइ ने कहा, ‘हम जम्मू कश्मीर में मीडिया पर लगी पाबंदियां हटाने के मुद्दे पर थोड़ा और समय देना चाहते हैं। हमने पढ़ा कि लैंडलाइन कनेक्शन बहाल किए जा रहे हैं और इस बाबत हमें जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट के जज का फोन भी आया है।' सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम मीडिया पर पाबंदियों के मामले पर अन्य संबंधित मामलों के साथ सुनवाई करेंगे।
सात में चार याचिकाएं त्रुटिपूर्ण
बता दें कि अनुच्छेद 370 पर कुल सात याचिकाएं दायर की गई जिनमें से चार को कोर्ट ने त्रुटिपूर्ण बताया है।जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म किए जाने के सरकार के फैसले के एक दिन बाद ही पेशे से वकील एम एल शर्मा ने चुनौती दी और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल किया। अपनी याचिका में उन्होंने पूरे राज्य में मोबाइल इंटरनेट एवं लैंडलाइन सेवाओं समेत संचार के सभी माध्यमों को बहाल करने के निर्देश देने की भी मांग की है।
याचिका में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर की सहमति के बगैर जारी अनुच्छेद 370 पर राष्ट्रपति का आदेश गैरकानूनी है।
Hind Brigade
Editor- Majid Siddique