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हड़ताल पर देशभर के रेजिडेंट डॉक्टर, NMC बिल का कर रहे विरोध; मरीजों की बढ़ी परेशानी

नई दिल्ली। देशभर के रेजिडेंट डॉक्टर(Resident Doctors) आज एक दिन की हड़ताल पर हैं। सभी रेजिडेंट डॉक्टर नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC)बिल 2019 का विरोध कर रहे हैं। रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन(Resident Doctors Association) आज पूरे देश में नेशनल मेडिकल कमीशन बिल(NMC) के प्रावधानों के खिलाफ एक दिवसीय हड़ताल कर रहा है।

Delhi: Resident doctors sit on strike in AIIMS (All India Institute Of Medical Sciences) against National Medical Commission (NMC) Bill, 2019. Resident Doctors Association is observing a one-day strike against provisions of National Medical Commission Bill,across the nation today

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रेजिडेंट डॉक्टरों का कहना है कि हमारी हड़ताल एनएमसी बिल के कुछ प्रावधानों के खिलाफ है। रेजिडेंट डॉक्टरों को सेवाओं से हटा दिया गया है। संकाय और सलाहकार सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। अगर सरकार हमारी बात नहीं मानती है तो इसे मेडिकल बिरादरी के इतिहास में सबसे काले दिनों में से एक गिना जाएगा।

केरल: त्रिवेंद्रम में राजभवन के सामने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक के खिलाफ मेडिकल छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया।

Kerala: Medical students protest against National Medical Commission Bill, 2019 in front of Raj Bhavan in Trivandrum.

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डियन मेडिकल एसोसिएशन के डॉक्टरों की हड़ताल
इससे पहले बुधवार को देशभर के करीब तीन लाख डॉक्टर एक दिन की हड़ताल पर थे। इस देशव्यापी हड़ताल की घोषणा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने की थी। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने लोकसभा में पास हुए नेशनल कमीशन बिल 2019 पास होने का विरोध किया है।आईएमए ने घोषणा करते हुए कहा है कि मेडिकल कमीशन बिल के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी। 

क्या है आईएमए की दलील
आईएमए का कहना है कि इस बिल की वजह से मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षा महंगी हो जाएगी। बिल में कहा गया है कि मेडिकल कॉलेजों के प्रबंधन 50 फीसदी से ज्यादा सीटों को अधिक दर पर बेच पाएंगे। साथ ही उनका कहना है कि इस बिल में मौजूदा धारा-32 के तहत करीब 3.5 लाख लोग जिन्होंने चिकित्सा की पढ़ाई नहीं की है उन्हें भी लाइसेंस मिल जाएगा। इससे लोगों की जान खतरे में पढ़ सकती है। साथ ही आईएमए ने यह भी कहा कि इस बिल में कम्युनिटी हेल्थ प्रोवाइडर शब्द को ठीक से परिभाषित नहीं किया है। जिससे अब नर्स, फार्मासिस्ट और पैरामेडिक्स आधुनिक दवाओं के साथ प्रैक्टिस कर सकेंगे और वह इसके लिए प्रशिक्षित नहीं होते हैं।

बनाई जाएगी मेडिकल एडवाइजरी काउंसिल   
केंद्र सरकार एक एडवाइजरी काउंसिल बनाएगी जो मेडिकल शिक्षा और ट्रेनिंग के बारे में राज्यों को अपनी समस्यां साथ ही सुझाव रखने का मौका देगी। इतना ही नहीं काउंसिल मेडिकल शिक्षा को किस तरह बेहतर बनाया जाए इसे लेकर भी सुझाव देगी।

अब होगी मेडिकल की एक ही परीक्षा
कानून के लागू होने के साथ ही पूरे देश के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए सिर्फ एक ही परीक्षा होगी। जिसका नाम होगा शनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET)।

मेडिकल प्रैक्टिस के लिए भी देना होगा टेस्ट 
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद भी डॉक्टरों को मेडिकल प्रैक्टिस करने के लिए टेस्ट देना होगा। वह यदि इस परीक्षा को पास करते है तभी उन्हें मैडिकल प्रैक्टिस करने के लिए लाइसेंस दिया जाएगा। इसी के आधार पर पोस्ट ग्रैजुएशन में एडमिशन किया जाएगा। इसपर डॉक्टरों का कहना है कि यदि कोई छात्र किसी वजह से एक बार एग्जिट परीक्षा नहीं दे पाया तो उसके पास दूसरा विकल्प नहीं है क्योंकि, इस बिल में दूसरी परीक्षा का विकल्प ही नहीं है। 

Hind Brigade

Editor- Majid Siddique 


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