नई दिल्ली। लोकसभा में गुरुवार को तत्काल तीन तलाक विधेयक पर चर्चा के बाद उसे पारित किए जाने की संभावना है। भाजपा ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर दिया है। नरेंद्र मोदी सरकार ने मई में अपना दूसरा कार्यभार संभालने के बाद संसद के इस पहले सत्र में सबसे पहले इस विधेयक का मसौदा पेश किया था
सूत्रों ने बुधवार को बताया कि भाजपा ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर दिया है और उनसे सदन में अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने को कहा है। विधेयक में तत्काल तीन तलाक को अपराध करार दिया गया है और साथ ही दोषी को जेल की सजा सुनाए जाने का भी प्रावधान किया गया है।
विपक्ष ने अहम विधेयकों को विधायी कसौटी पर परखे बिना धुंआधार गति से पारित कराने को लेकर सरकार को आगाह किया है। संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष की घेरेबंदी के लिए हुई विपक्षी दलों की बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि मनमाने तरीके से विधेयकों को पारित कराने के सरकार के प्रयासों का जोरदार विरोध किया जाएगा।
विपक्ष ने इसी रणनीति के तहत सूचना का अधिकार कानून संशोधन विधेयक समेत सात विधेयकों को प्रवर समिति में भेजने के अपने इरादों की सूची बुधवार को सरकार को थमा दी। सरकार को विपक्ष ने मुस्लिम महिलाओं से जुड़े तीन तलाक विधेयक पारित कराने में भी जल्दबाजी नहीं करने की सलाह दी है।
संसद के मौजूदा सत्र को दस दिनों के लिए बढ़ाने की सरकार की पूरी तैयारी को देखते हुए विपक्षी पार्टियों ने इसी अनुरूप अपनी साझा रणनीति बनाई है। लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में विपक्षी दलों के नेताओं की अलग-अलग बैठक में अहम मुद्दों पर अपने दलों की एकजुटता और समन्वय पर जोर दिया गया।
कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने सुबह लोकसभा में विपक्षी खेमे के नेताओं के साथ बैठक की। इसमें अहम मुद्दों पर विपक्षी दलों की चर्चा की मांग की अनदेखी किए जाने से लेकर लोकसभा में बहुमत की ताकत के सहारे संसदीय नियमों-परंपराओं को दरकिनार किए जाने के खिलाफ एकजुटता की जरूरत बताई गई।
कश्मीर मसले पर मध्यस्थता के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रप के विवादित बोल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से स्पष्टीकरण की मांग फिलहाल जारी रखने पर भी सहमति बनी। इस बैठक में सपा और तृणमूल कांग्रेस के नेता शामिल नहीं हुए।
हालांकि राज्यसभा में विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक में तृणमूल कांग्रेस और सपा के नेता शामिल हुए। गुलाम नबी आजाद की अगुआई में हुई विपक्षी नेताओं की बैठक में नेताओं का मानना था कि कई खामियों के साथ पारित हो रहे बिल के कानून बनने के बाद दूरगामी गंभीर नतीजे हो सकते हैं। इसीलिए जल्दबाजी करने की बजाय विधायी कसौटी पर विधेयकों का अध्ययन कर इन्हें पारित कराया जाना चाहिए।
इसके मद्देनजर विपक्षी पार्टियों ने सूचना का अधिकार संशोधन बिल को प्रवर समिति में भेजने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर सदन में इसे पेश करने का मजमून तैयार कर लिया है।
इतना ही नहीं विपक्ष ने आरटीआइ समेत सात विधेयकों की सूची अनौपचारिक तौर पर सरकार को थमा दी है कि इन विधेयकों को राज्यसभा में जबरन पारित कराने के प्रयास हुए तो फिर हंगामा के साथ विरोध होगा।
आरटीआइ और तत्काल तीन तलाक बिल के अलावा वेतन संहिता विधेयक, कार्यगत सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यदशा संहिता विधेयक, अंतर-राज्यीय नदी जल विवाद संशोधन विधेयक, डीएनए संशोधन विधेयक और गैरकानूनी गतिविधि निषेध विधेयक को भी प्रवर समिति में भेजने की विपक्ष की रणनीति है।
विपक्षी दलों ने सरकार के रणनीतिकारों से साफ कह दिया है कि वह चाहे तो खुद ही इन विधेयक को विधायी कसौटी पर परखने के लिए संसदीय समिति को भेज दे। सरकार ऐसा नहीं करेगी तो विपक्ष आसानी से विधेयकों को पारित नहीं होने देगा। ध्यान रहे कि तत्काल तीन तलाक के मुद्दे पर सरकार के सहयोगी दल जदयू ने भी आपत्ति जताई है।
Hind Brigade
Editor- Majid Siddique