नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी से संबंधित याचिका पर सुनवाई की गई। कोर्ट ने केंद्र व जम्मू कश्मीर को नोटिस भेजकर नजरबंदी के कारण का जवाब मांगा है। घाटी से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद फारूक अब्दुल्ला समेत वहां के कई नेताओं को पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत नजरबंद कर दिया गया।
दरअसल, एमडीएमके चीफ वाइको ने कोर्ट में याचिका दर्ज कराई और फारूक अब्दुला की नजरबंदी का मामला उठाया और उन्हें अदालत में पेश करने की मांग की। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिए एस ए बोबडे व एसएस नजीर ने केंद्र व राज्य को नोटिस जारी की और इस याचिका के लिए अगली सुनवाई की तारीख 30 सितंबर को मुकर्रर किया।
एमडीएमके प्रमुख व नेता वाइको ने अपनी याचिका में कहा है कि नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला से संपर्क नहीं हो सका क्योंकि जम्मू कश्मीर में अधिकांश नेता हाउस अरेस्ट हैं। वाइको ने कहा है कि 15 सितंबर को डीएमके संस्थापक व तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री सीएन अन्नादुरइ की 111वीं जयंती समारोह पर अब्दुल्ला को तमिलनाडु आना था। वाइको का दावा है कि पिछले चार दशक से वे अब्दुल्ला के करीबी मित्र हैं।
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Editor- Majid Siddique