चंडीगढ़ में गत 28 अगस्त को सेक्टर-19 थाने के टॉप फ्लोर से छलांग लगाकर जान देने वाले एसआई गुलजार सिंह का सुसाइड नोट सोमवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। सवाल यह है कि आखिर पांच दिन बाद एसआई का सुसाइड नोट कहां से आया और क्यों पुलिस इसको इतने दिनों से छिपा रही थी, जबकि शुरू से ही पुलिस सुसाइड नोट मिलने से चुप्पी साधी थी। वहीं, आला अधिकारियों ने सुसाइड नोट की इंक्वायरी डीएसपी लाइन को मार्क कर दी है।
सेक्टर-26 थाना पुलिस ने अगस्त 2018 को होटल प्रेसिडेंट में छापेमारी कर 2 लाख 87 हजार 300 रुपये बरामद किए गए थे। रुपयों को केस प्रापर्टी बनाकर सेक्टर-26 थाने के मालखाना में रख दिया गया। बाद में पता चला कि सारे रुपये वहां से गायब हैं। सूत्रों की मानें तो सारे रुपये गुलजार सिंह से ही भरवाए गए थे। मामले में गुलजार पर लापरवाही के चलते डिपार्टमेंटल इंक्वारी खोल दी गई थी। जिस कारण वह मानसिक तौर से परेशान रहने लगे।
बीते 28 अगस्त सुबह करीब 11 बजे गुलजार सिंह सेक्टर-19 थाने के टॉप फ्लोर से पिछली साइड मालखाना की पर्किंग में छलांग लगा दी। जिसके बाद थाने का सभी स्टॉफ इकट्ठा हो गया और उन्हें एक प्राइवेट गाड़ी में तुरंत पीजीआई में पहुंचाया गया, जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।
सुसाइड नोट में लिखा है कि मुझे झूठा फंसाया गया है, जून 2014 से थाना-26 में बतौर माल खाना मुंशी तैनात था। 31 दिसंबर 2016 को एएसआई बना। इसके बाद अक्तूबर 2017 को मेरी बदली कर सेक्टर-24 पुलिस चौकी में कर हेड कांस्टेबल दलबीर सिंह को लगाया गया था। बाद में सेक्टर-19 थाने में हो गई। 26 नंवबर 2018 को मेरी रवानगी थाना 19 में कर दी। मेरी जगह हवलदार ओम प्रकाश को लगाया गया, लेकिन उसने भी चार्ज नहीं लिया। इसके बारे में मैंने एसएचओ को बताया तो एसएचओ मैडम ने कहा कि मैं जल्दी ही किसी के पक्के आर्डर कर दूंगी।
जनवरी 2018 को एक हवलदार का सेक्टर-26 थाने के माल खाना मुंशी के आर्डर हुए। मैं जब सेक्टर-26 थाने चार्ज देने गया तो माल खाना मुंशी ने कहा कि मालखाने में पैसे कम हैं। मैंने चार्ज देना शुरू किया तो एसएचओ मैडम ने मुझे नोटिस दे दिया कि माल खाने से साढ़े तीन लाख के करीब पैसे कम हैं। पहले इन पैसों को तुमने ही पूरा करना है, जबकि मैं उस समय सेक्टर-19 थाने में ड्यूटी पर था और सारी चाबियां भी मालखाने में ही थीं। मेरे ऊपर झूठा इल्जाम लगाया फिर भी मैंने पूरे पैसे इनके हवाले कर दिए। उसके बाद मैं बहुत ज्यादा दिमागी तौर पर परेशान रहने लगा।
मेरा पूरा परिवार भी परेशान होने लगा। 4-5 महीने से उस काम की सजा भुगत रहा, जो मैंने किया ही नहीं। मेरी 34 साल की नौकरी में आज तक किसी प्रकार की शिकायत नहीं है। मैंने बहुत साफ सुथरी नौकरी की है, और मैं सदमे को सहन नहीं कर सकता। दिन रात परेशान रहने लगा परंतु फिर भी मैंने बहुत जोर लगाया कि नौकरी करूं और परेशानी में भी ड्यूटी करता रहा और जिंदा लाश होकर रह गया। मेर हंसता खेलता परिवार बिखर गया क्योंकि मेरी हालत देख नहीं सकते थे। मैं ड्यूटी तो कर रहा था परंतु हर समय ही सोचता कि मेरे साथ क्या हो गया।
बस यही सोचने लगा कि बदनामी से अच्छा तो मर जाना ही ठीक है क्योंकि हर समय मन परेशान रहता था। मैं परमात्मा के आगे हाथ जोड़ कर विनती करता हूं कि मैं जैसे-जैसे तड़प कर अपनी जान दे रहा हूं, परमात्मा उन को भी मेरे से ज्यादा सजा देना, जिन्होंने मेरे ऊपर झूठा इल्जाम लगाया। मैं अपने सीनियर अफसरों को विश्वास दिलाता हूं कि मैंने कोई गलत काम नहीं किया क्योंकि अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए मेरे पास कोई सबूत नहीं था और इससे बड़ा कोई सबूत दे नहीं सकता।
मैं एसएसपी साहब से निवेदन करता हूं कि जब मालखाना का पूरा चार्ज अगले मुंशी को दिया जाए, पहले वाले की रवानगी मत करना नहीं तो मेरे ही तरह कोई नाजायज मुंशी आत्महत्या न करे। अगर मेरा सही समय चार्ज दिलवा कर रवानगी करते, तो मैं आज आत्महत्या नहीं करता। मैं परिवार से माफी मांगता हूं क्योंकि मैं इस समय छोड़ कर जा रहा हूं, जब मेरी उनको जरूरत थी। बच्चों माफ कर देना। भगवान आपकी रक्षा करे।