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एक्शन क्षेत्र में वीरू देवगन के इनोवेशन से आई क्रांति- रोहित शेट्टी

नई दिल्ली। जब एक्शन फिल्म की बात चलती है तो रोहित शेट्टी का नाम जेहन में सबसे पहले आता है, लेकिन अगर एक्शन फिल्मों के उस दौर की बात करें जब न तो बेहतर तकनीक थी और न ही संसाधन। तब उस दौर के एक्शन हीरो थे एक्शन डायरेक्टर वीरू देवगन। इस साल मई में 85 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था। जागरण फिल्म फेस्टिवल में वीरू देवगन को श्रद्धांजलि देने के तहत आयोजित परिचर्चा में फिल्म निर्देशक रोहित शेट्टी ने कहा कि एक्शन फिल्मों की एबीसीडी उन्होंने वीरु देवगन से ही सीखी थी। उनके पिता वीरु देवगन के दोस्त थे। 

उन्होंने कहा कि आज स्पेशल इफेक्ट्स के इस दौर में भी वह वीरू देवगन द्वारा सिखाई बारीकियों को जेहन में रखते हुए ही काम करते हैं। उन्होंने बताया, 'वीरू देवगन और मेरे पिता एक ही क्षेत्र में काम करते थे। मैंने जॉब ज्वाइन नहीं किया था। मैं 16 वर्ष की उम्र में वीरू देवगन के साथ काम करने लगा था। वह मुझसे अपने बेटे की तरह बर्ताव करते थे। मैंने उनसे अपनी इच्छा एं व्यटक्त् की थी कि मैं फिल्मों के लिए काम करना चाहता हूं। दरअसल मैं एक्श न डायरेक्टकर बनना चाहता था लेकिन एक्सीकडेंटली निर्देशक बन गया।'

रोहित ने वीरू देवगन को अजय देवगन की पहली फिल्म 'फूल और कांटे' में असिस्ट किया था। रोहित ने कहा कि वीरू देवगन ने एक्शन में जिस तरह के इनोवेशन किए थे वे फिल्मों के क्षेत्र में क्रांति लेकर आए थे। रोहित ने कहा कि कि फिल्म निर्माण की बारीकियां और काम के प्रति ईमानदारी उन्होंने वीरू देवगन से ही सीखी है। वीरु की दी सीख का जिक्र करते हुए रोहित ने बताया कि वीरु ने कहा था कि काम कोई भी हो, व्यक्ति को हमेशा अपने काम के प्रति ईमानदार रहना चाहिए। अपने काम के प्रति ईमानदार रहेंगे तो काम भी आपके प्रति ईमानदार रहेगा।'

एक्श्न फिल्मों के प्रति उनके लगाव के बारे में रोहित का कहना है कि वह इसे फैमिली बिजनेस की तरह देखते हैं, क्योंकि वह बचपन से इसे देखते आए हैं। उस समय और वर्तमान की फिल्मों के बारे में रोहित ने कहा कि पहले सुरक्षा के इतने इंतजाम नहीं होते थे। आज सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाती है। फिल्मों में अपनी कारों को उड़ाने के लिए विख्यात रोहित को लगता है कि उनके ऊपर हर बार और बेहतर एक्शन दृश्योंआ का दबाव होता है। आज के दर्शकों को विभिन्न मंचों पर फिल्मों का एक्सपोजर मिलता है। उन्होंने कहा कि उनकी बहन के दो साल के जुड़वा बच्चों को हॉलीवुड फिल्म् एवेंजर्स के हर किरदार के नाम पता हैं। उन्होंने कहा कि एवेंजर्स व ट्रांसफॉर्मर जैसी फिल्मों ने दर्शकों की अपेक्षाएं बढ़ी दी है। हम सीमित संसाधनों में उसे अपग्रेड करने का प्रयास करते रहते हैं। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में इस ऊंचाई को पाने के लिए बड़े बजट की जरुरत होती है। इसके अलावा विदेश में एक्शन ट्रेनिंग ग्राउंड व संसाधन होते है जो यहां नहीं हैं। इस अवसर पर वीरू देवगन के साथ उनकी पहली फिल्म फूल और कांटे का एक्शन सीन दिखाया गया जिसमें अजय देवगन बाइक पर स्टंट करते दिखे। इसके बारे में उन्होंने बताया कि इस सीन का अधिकतर हिस्सा असल हीरो व परिस्थियों के साथ शूट किया गया था।

उन्होंने अमिताभ बच्चन की एक फिल्म के एक्शन सीन का जिक्र करते हुए बताया कि जब बिग बी का डुप्लीकेट एक सबवे ब्रिज से कूदना था तो उसे देखने के लिए वह खुद वहां पहुंचे और इतने में ही प्रशंसकों की सीटियां बजने लगी। बिग बी ने यह देखकर उस सीन को स्वयं करने का फैसला किया। रोहित ने कहा कि पहले अभिनेताओं को उत्साहवर्धन किया जाता था कि वे कठिनतम सीन करने में सक्षम हैं। रोहित अपनी फिल्मों के कठिन एक्शन दृश्य पहले खुद करके देखते हैं फिर उसे किसी और को करने देते हैं। उन्होंने कहा कि अजय देवगन के साथ शूट करने में उन्हें किसी तरह की तैयारी की जरूरत नहीं होती लेकिन रणवीर सिंह जैसे नए अभिनेताओं को प्रशिक्षण देना पड़ता है। उन्होंने कहा कि आज एक्शन फिल्म बनाना पहले से बहुत आसान है। रोहित ने श्रोताओं के सभी प्रश्नों का धैर्यपूर्वक जवाब देकर उनका मन मोह लिया और हॉल लगातार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा।

रोहित ने कहा कि ‘जागरण फिल्म फेस्टिवल में जिस तरह की फिल्में दिखाई जाती हैं उससे नई पीढ़ी पुरानी फिल्मों के क्राफ्ट और उस समय की परिस्थितियों को अच्छी तरीके से समझ सकेगी। लोग इससे प्रोत्साहित होंगे कि उस समय फूल और कांटे, रुप की रानी चोरों का राजा जैसी फिल्मों एक्शन सीन कम संसाधनों में किए गए थे। जबकि आज हमारे पास बेहतरीन सुविधाएं है।'

Hind Brigade

Editor- Majid Siddique


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