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कईं देशों में है चीफ ऑफ डिफेंस जैसा पद, भारत में दो दशक से जारी थी चर्चा, जानें क्या होंगे फायदे

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को 15 अगस्त के अपने संबोधन में लाल किले से देश में चीफ ऑफ डिफेंस की नियुक्ति का ऐलान किया। प्रधानमंत्री के इस कदम के देश में नई चर्चा शुरू हो चुकी है। प्रधानमंत्री द्वारा जिस व्यवस्था की बात की गई है उसके तहत चार स्टार वाले जनरल को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त किया जाएगा। तीनों सेनाओं के प्रमुख इनके अधीन होंगे। सीडीएस तीनों सेनाओं का एकीकृत नेतृत्व करेगा।

अमेरिका समेत दुनिया के कईं देशों में इस तरह का पद पहले से ही है और हर देश में इसे अलग नाम से जाना जाता है साथ ही इसका महत्व भी थोड़ा अलग है। भारत में इस व्यवस्था की चर्चा आज से नहीं बल्कि पिछले दो दशक हो रही थी। लेकिन अब जाकर किसी सरकार ने इस पर कदम आगे बढ़ाया है।

सीडीएस की नियुक्ति से फायदे

सीडीएस तीनों सेनाओं के प्रमुख की तरह काम करेगा और सरकार के लिए एकल सैन्य सलाहकार होगा। तीनों सेनाओं के लिए लंबी अवधि की योजनाओं, खरीदारी और प्रशिक्षण जैसे कार्यों में समन्वय की भूमिका सीडीएस की रहेगी।

सीडीएस की नियुुक्ति से सैन्य खरीद को गति मिलेगी। इससे किसी तरह की व्यवस्था या खरीद में दोहराव की गुंजाइश भी नहीं रहेगी। भारत परमाणु शक्ति संपन्न देश है और यहां सीडीएस परमाणु हथियारों के मामले में प्रधानमंत्री के सलाहकार की भूमिका भी निभाएगा।

दो दशक से चल रही चर्चा

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पद के गठन की जरूरत कारगिल युद्ध के बाद से ही महसूस की जा रही है। इस युद्ध के बाद बनी कारगिल समीक्षा समिति ने अपनी रिपोर्ट में पहली बार सीडीएस की सिफारिश की थी। इसी तरह 2012 में रक्षा क्षेत्र के सुधारों पर बनी नरेश चंद्रा कमिटी ने भी चार स्टार जनरल को सीडीएस बनाने की सिफारिश करते हुए तीनों सेनाओं के बीच समन्वय के लिए इसे जरूरी बताया था।

यूपीए सरकार के समय इसके गठन की पहल भी शुरू हुई पर सिरे नहीं चढ़ पाई। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी दो-तीन मौकों पर इसकी गंभीर पहल हुई मगर तब भी यह फाइलों से आगे नहीं बढ़ पाई।

अभी क्या है व्यवस्था?

वर्तमान समय में तीनों सेना प्रमुखों में से सबसे वरिष्ठ को चेयरमैन ऑफ चीफ्स ऑफ स्टाफ (सीओएससी) नियुक्त किया जाता है। हालांकि यह पद केवल एक अतिरिक्त भूमिका की तरह होता है और इसका कार्यकाल भी आमतौर पर बहुत कम रहता है।

31 मई को वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा से यह जिम्मेदारी ली थी। 30 सितंबर को सेवानिवृत्त होते ही धनोआ इस पद से भी मुक्त हो जाएंगे। उनके बाद सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत सीओएससी बनेंगे। वह भी 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त हो जाएंगे।

कई देशों में है इस तरह का पद

सभी बड़े देशों, विशेषतौर पर परमाणु शक्ति संपन्न देशों में सीडीएस जैसा पद है। अमेरिका में चेयरमैन ऑफ द जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ की नियुक्ति होती है। वहीं कनाडा, फ्रांस, स्पेन और इटली जैसे देशों में सीडीएस का पद है। ब्रिटेन में सीडीएस के साथ-साथ परमानेंट सेक्रेटरी का भी पद है। परमानेंट सेक्रेटरी की भूमिका रक्षा मामलों में प्रधान नागरिक सलाहकार की होती है। रक्षा क्षेत्र में नीति निर्धारण, वित्तीय प्रबंधन और योजनाओं में इसकी भूमिका रहती है।

Hind Brigade

Editor- majid Siddique


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