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बंबई उच्च न्यायालय ने टीकों की कीमतें तय करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को उस जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया जिसमें सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक को कोविड-19 के टीके 150 रुपये प्रति टीके की एकसमान दर से बेचने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। मुंबई के वकील फैजान खान और कानून के तीन छात्रों द्वारा गत सप्ताह दायर जनहित याचिका में केंद्र और राज्य सरकारों के लिए कोविड-19 टीकों की अलग-अलग कीमतों को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता के वकील विवेक शुक्ला ने मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की खंडपीठ के समक्ष बृहस्पतिवार को तत्काल सुनवाई के लिए याचिका पेश की। अदालत ने कहा कि याचिका उच्चतम न्यायालय में दायर की जानी चाहिए जिसने कोविड-19 से संबंधित मामलों में स्वत: संज्ञान लिया है। अदालत ने कहा, उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि जिन मुद्दों का पूरे भारत पर असर पड़ेगा उन पर वह सुनवाई करेगा और कीमतें पूरे भारत में एक साथ लागू होती हैं। हम इस पर सुनवाई नहीं कर रहे हैं क्योंकि उच्चतम न्यायालय इस मामले पर सुनवाई कर रहा है। अदालत ने यह भी कहा कि कोविड-19 टीकों की कीमतें सार्वभौमिक मुद्दा है जिसका संबंध पूरे देश से है और अत: याचिकाकर्ताओं को उच्चतम न्यायालय ही जाना चाहिए। वकील शुक्ला इस पर सहमत हुए और उन्होंने याचिका वापस ले ली। याचिकाकर्ताओं द्वारा 24 अप्रैल को दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि टीके को एक आवश्यक वस्तु माना गया है और इसलिए इसका प्रबंधन तथा वितरण निजी कंपनियों के हाथों में नहीं छोड़ा जा सकता। इसमें कहा गया है, ये दिग्गज दवा कंपनियां कोविड-19 के कारण बढ़ी मृत्यु दर के डर को भुना रही हैं।



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