नई दिल्ली। मानसून की झमाझम बारिश से खरीफ की बुवाई व रोपाई ने रफ्तार तो पकड़ ली है, लेकिन कई राज्यों में इसके चलते भीषण बाढ़ आ गई है। इससे खेती को होने वाले नुकसान पर सरकार नजर रख रही है। खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान की रोपाई पीछे चल रही है। केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मानसून की सक्रियता को देखते हुए धान का रकबा कम नहीं होगा।
तोमर शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मानसून की भारी बारिश के चलते दक्षिणी व पश्चिमी क्षेत्र के कई राज्यों में बाढ़ के प्रकोप से खेती के नुकसान होने का खतरा जरूर पैदा हो गया है। तोमर ने कहा कि सरकार प्राकृतिक आपदाओं से खेती को होने वाले नुकसान पर नजर रख रही है।
बुवाई हुई प्रभावित
तोमर ने माना कि चालू सीजन में मानसून विलंब से आया, जिससे बुवाई प्रभावित हुई है। यह किसानों के साथ सरकार की भी चिंता का विषय थी। लेकिन शनै: शनै: मानसून सक्रिय हुआ तो खेती का रकबा लगातार संतोषजनक गति से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि फिलहाल औसतन बारिश 2.5 फीसद कम रह गई है, जो पूरी हो जाएगी।
खड़ी फसलों के नुकसान की आशंका
महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड में बारिश से बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है। इससे खेतों में खड़ी फसलों के नुकसान की आशंका है। मानसून के देर से आने और फिर बाढ़ के चलते खरीफ बुवाई व रोपाई का रकबा 50 लाख हेक्टेयर तक पीछे चल रहा है। जबकि इसमें धान की रोपाई लगभग 40 लाख हेक्टेयर पिछड़ गई है। दलहन, तिलहन और मोटे अनाज वाली फसलों का बुवाई रकबा घटा है।
नुकसान का होगा आकलन
कई राज्यों में खरीफ सीजन की फसल बाढ़ में डूब गई है, जिससे वहां के नुकसान की भरपाई के लिए कृषि मंत्रालय ने योजना तैयार करनी शुरु कर दी है। राज्यों की ओर से सूचना मिलते ही टीमें नुकसान का आकलन करने और वैकल्पिक खेती की योजना का खाका पेश किया जाएगा। बिहार और असम के ज्यादातर जिलों में बाढ़ के पानी से फसलों की क्षति हुई है। इसका जल्दी ही आकलन करने केंद्रीय टीम रवाना होगी।
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Editor- Majid Siddique