मुंबई : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य में कोरोना पर काबू पाने के लिए 15 दिनों के लिए धारा 144 लगाई है। कोरोना संकट पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने ब्रेक द चेन अभियान की शुरूआत की है। लिहाजा राज्य में सिर्फ अत्यावश्यक सेवाओं को ही शुरू रखा गया है। सरकार की इस घोषणा का असर मुंबई के डिब्बेवालों पर भी पड़ा है। अपनी मैनेजमेंट स्किल के लिए दुनिया में अपना लोहा मनवा चुके मुंबई के डिब्बेवाले सरकार से नाराज हैं। उनके मुताबिक सरकार ने उनके लिए किसी राहत राशि का ऐलान नहीं किया है। इस सिलसिले में डिब्बेवालों ने उत्तर पूर्व मुंबई के बीजेपी सांसद मनोज कोटक से मुलाकात की। डिब्बेवालों ने कोटक को एक पत्र देकर ये अपील की है कि उन्हें राज्य सरकार की ओर से अत्यावश्यक सेवा शामिल किया जाए।
कड़े प्रतिबंधों की वजह से अब उनके कारोबार पर भी इसका काफी असर पड़ा है। कई डिब्बेवालों की रोजी-रोटी पर अब सवालिया निशान फिर से खड़े हो गए हैं। दरअसल पिछले साल मार्च में लगे लॉकडाउन के बाद जब धीरे-धीरे सब कुछ खुलना शुरू हुआ तब उनका व्यवसाय एक बार फिर से शुरू हो गया था। हालांकि अब दोबारा उनकी रोजी रोटी पर संकट आ गया है। सरकार के इस फैसले से पाँच हजार डिब्बेवाले प्रभावित हुए हैं। डिब्बेवालों ने सांसद मनोज कोटक को लिखे पत्र में कहा है कि पिछले साल लगे लॉकडाउन के बाद मुंबई शहर के संरक्षक मंत्री असलम शेख ने उन्हें सरकार की तरफ से हर महीने 2000 रुपए आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया गया था। हालांकि वह सहायता उन्हें अभी तक प्राप्त नहीं हुई है। जिसके बात सांसद मनोज कोटक ने मंत्री अस्लम शेख को ट्वीटर पर लिखकर सवाल पुछा और इसका जवाब मांगा।