श्रीनगर। कश्मीर के आम लोग प्रशासनिक पाबंदियों से जल्द छुटकारा चाहते हैं लेकिन इसके विपरीत हिरासत में लिए गए सियासी दलों के दिग्गज बाहर आने को तैयार नहीं हैं। यह नेता न शांति भंग करने की गारंटी दे रहे हैं और इसीलिए बेल बांड भरने को उत्सुक नहीं है। माना जा रहा है कि बदली परिस्थितियों में यह लोगों का सामना करने को तैयार नहीं है, इसलिए इस मसले को और लटकाना चाहते हैं। इनमें उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती से लेकर सज्जाद गनी लोन तक शामिल हैं।
5 अगस्त को नेताओं को लिया गया था हिरासत में
5 अगस्त को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक संसद में पेश होने से पूर्व ही एहतियात के तौर पर नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस, पीडीपी, माकपा, पीपुल्स कांफ्रेंस समेत कश्मीरी सियासी दलों के प्रमुख नेताओं व कार्यकर्ताओं को एहितयातन हिरासत में ले लिया गया या फिर नजरबंद कर दिया गया। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती भी तब से अलग-अलग स्थान पर हिरासत में हैं। हालांकि अधिकारिक स्तर पर हिरासत में लिए गए सियासी दलों के नेताओं, कार्यकर्ताओं की ब्यौरा प्रशासन द्वारा जारी नहीं किया पर इनकी संख्या डेढ़ हजार के करीब हो सकती है।
रिहाई के लिए बेल बांड भरना होगा
वादी में हालात सामान्य होते देख प्रशासन सियासी गतिविधियों को लगातार आगे बढ़ा रहा है। इसी के तहत कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं व कार्यकर्ताओं की रिहाई के लिए प्रशासन तैयार है। बस शर्त यह है कि इनको गारंटी देनी होगी कि वह कानून व्यवस्था को नहीं बिगाड़ेंगे। इसके लिए बेल बांड भरना होगा।
केंद्रीय दल के सामने भी उठा था रिहाई का मसला
सूत्रों के अनुसार हिरासत में कई नेताओं को रिहाई के लिए जब बेल बांड भरने के लिए कहा गया तो वह मुकर गए। उन्होंने बताया कि बदली परिस्थितियों में यह नेता कश्मीरी अवाम का सामना नहीं कर पा रहे हैं। यह नेता जिन मुद्दों पर सियासत करते हुए आम लोगों की भावनाओं को भड़काते थे, वह अब पूरी तरह आप्रंसगिक हो गए हैं। इसके अलावा इनका अपना कैडर भी इनसे नाराज है, क्योंकि ताजा घटनाक्रम में आम लोगों की आंखों पर ऑटोनामी, सेल्फ रुल और आजादी के कोरे नारों की धुंध छंट गई है। इन नारों पर चलने वाले लोग अब अपने नेताओं से सवाल पूछने को तैयार बैठे हैं और नेताओं के पास कोई जवाब नहीं है।
किसी भी तरह की शर्त नहीं चाहते
राज्य प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन की बहन शबनम लोन ने भी अदालत में सज्जाद की रिहाई की याचिका नहीं लगाई। केवल उससे मिलने की याचिका लगाई थी। उन्होंने बताया कि नेकां उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के साथ गत दिनों हुई केंद्र के प्रतिनिधियों की बातचीत में भी यह मुद्दा उठा था। यह नेता चाहते हैं कि इन्हें इनकी सियासत की पूरी अनुमति मिले और किसी भी तरह की शर्त नहीं होनी चाहिए।
Hind Brigade
Editr- Majid Siddique