लेह। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म होने और लद्दाख को केन्द्र शासित राज्य का दर्जा मिलने के बाद केन्द्र सरकार ने राज्य की 80 फीसद आदिवासी आबादी को देश और दुनिया में पहचान दिलाने और उन्हें अपनी पहचान के साथ उद्योगपति बनाकर दुनिया के बाजार तक पहुंचाने के लिए कमर कस ली है। पहली बार आदि महोत्सव और वन धन योजना का बड़े पैमाने पर आयोजन हो रहा है। इसका आयोजन केन्द्रीय जनजातीय मंत्रालय ट्राइफेड के माध्यम से कर रहा है।
कायर्क्रम का उद्दघाटन शनिवार को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक करेंगे और इस मौके पर जनजातीय मंत्री अजुर्न मुंडा रहेंगे। संसद से बिल पास करा कर लेह लद्दाख को केन्द्र शासित प्रदेश का दर्जा दिलाने वाले गृह मंत्री अमित शाह ने आदि महोत्सव आयोजन के लिए अपनी शुभकामनाए भेजी हैं। आदि महोत्सव 17 से 25 अगस्त तक चलेगा।
ट्राइफेट के एमडी प्रवीण कृष्ण ने कहा कि यह पहला मौका है जबकि लेह लद्दाख के आदिवासियों के लिए इतना बड़ा आयोजन किया जा रहा है और उन्हें दुनिया की बाजार से जोड़ने के गुर सिखाए जांयेंगे उनकी खासियतें बरकरार रखते हुए उनके वन उत्पादनों को देश और दुनिया की बाजार में पहुंचाया जायेगा। इसमें 20 राज्यों के करीब 200 आदिवासी हिस्सा लेंगे। इसके अलावा लद्दाख के आदिवासी भी इसमें अपने सामानों और कलात्मक वस्तुओं को पेश करेंगे।
आदिवासियों की कलाओं को देश विदेश तक पहुंचाने और उनकी कला को संरिक्षत करने के उद्देश्य से जनजातीय मंत्रालय ट्राइबल कोआपरेटिव मार्केटिंग डेवलेपमेंट फेडरेशन आफ इंडिया (ट्राइफेड) के साथ मिल कर इस आदि महोत्सल का आयोजन करता है।
इस महोत्सव में जनजातीय मंत्रालय की वन धन योजना के तहत वन उत्पादनों में वैल्यू एडीशन करके उन्हें बेहतर पैकेजिंग में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाया जाता है। इसमें लद्धाख के आदिवासी महिला और पुरुष को ट्राइब्स इंडिया के सप्लायर पैनल में शामिल किया जाएगा और उनकी कृतियों और उत्पादों को देश भर में 104 शो रूम के जरिए उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाएगा।
अमेजन के जरिए दुनिया भर के बाजार में उनके उत्पाद बिकेंगे क्योंकि इस बारे मे ट्राइब्स इंडिया का अमेजन के साथ समझौता है।
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Editor- Majid Siddique