नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों व शिक्षा में आरक्षण देने संबंधी महाराष्ट्र के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई करने के अनुरोध पर विचार करने पर सहमति जताई है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने एक वकील के इस कथन पर गौर किया कि जिन याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होना था, वे न्यायालय की कार्यसूची में नहीं है। पीठ ने मामले पर तत्काल सुनवाई के अनुरोध पर कहा, आप मेमो दीजिए। हम इस पर गौर करेंगे।
मराठा आरक्षण को सही ठहराने के लिए शीर्ष अदालत में बंबई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ जे लक्ष्मण राव पाटिल और वकील संजीत शुक्ला की याचिका लंबित है। इन याचिकाओं में बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें आरक्षण की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा गया। उच्च न्यायालय ने अपने 27 जून के फैसले में कहा था कि कुल आरक्षणों पर उच्चतम न्यायालय की ओर से लगाई गई 50 प्रतिशत की सीमा को अपवाद की परिस्थितियों में पार किया जा सकता है।
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Editor- Majid Siddique