बेंगलुरु। Yeddyurappa be CM for fourth time in Karnataka कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार (Congress-JD (S) coalition government) गिरने के बाद भाजपा ने सरकार बनाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। सूत्रों की मानें तो राज्य भाजपा प्रमुख बीएस येद्दयुरप्पा जल्द ही सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं। ऐसे में भाजपा यदि राज्य की सत्ता में दोबारा लौटती है तो कर्नाटक के मुख्यमंत्री के तौर पर यह उनका चौथा कार्यकाल होगा।
येदियुरप्पा ने कहा है कि वह सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात करेंगे। उसके बाद ही गवर्नर से मुलाकात करने के लिए जाएंगे। उन्होंने अगली रणनीति के लिए पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई है। येदियुरप्पा ने अमित शाह को पत्र लिखकर कहा है कि पार्टी से मिले समर्थन के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं। दूसरी ओर राज्य में भाजपा कार्यकार्ताओं ने सरकार बनने की संभावनाओं को लेकर जश्न मनाना शुरू कर दिया है।
बता दें कि 76 वर्षीय येद्दयुरप्पा पहली बार साल 2007 में कर्नाटक के सीएम बने थे लेकिन जेडीएस के समर्थन वापस लेने की वजह से सात दिन बाद ही उनकी सरकार गिर गई थी और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। साल 2008 में उन्होंने फिर राज्य की सत्ता में वापसी का रास्ता बनाया था लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण वह कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। उनका दूसरा कार्यकाल मई 2008 से जुलाई 2011 तक रहा।
साल 2012 में उन्होंने नई पार्टी कर्नाटक प्रजा पक्ष नाम से नई पार्टी बनाई थी लेकिन साल 2014 के चुनाव से पहले वह फिर भाजपा में शामिल हो गए। यही नहीं उन्होंने शिमोगा से लोकसभा चुनाव भी जीता था। साल 2018 में उन्होंने कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली लेकिन विधानसभा चुनाव में बहुमत के आंकड़ा पार नहीं कर पाए, नतीजतन विश्वास मत खोने के कारण एकबार फिर सत्ता से वंचित रहना पड़ा। अब जबकि बहुमत का आंकड़ा घट गया है, वह दोबारा सीएम पद की रेस में हैं।
सूत्रों की मानें तो भाजपा ने सरकार गठन का फुलप्रुफ प्लॉन तैयार कर लिया है। वहीं मुंबई में डेरा डाले कांग्रेस-जेडीएस के बागी विधायकों ने येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद ही राज्य में लौटने का फैसला किया है। कांग्रेस ने भाजपा पर विधायकों को फोड़ने का आरोप लगाया है। हालांकि, बागी विधायक पहले ही साफ कर चुके हैं कि उनके इस्तीफों और सरकार से समर्थन वापसी में भाजपा का कोई हाथ नहीं है।
ज्ञात हो कि सत्तारूढ़ गठबंधन के 16 विधायकों के सदन की सदस्यता से इस्तीफा देने और दो निर्दलीय विधायकों के सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद एचडी कुमारस्वामी ने विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पेश किया था। मंगलवार शाम को प्रस्ताव पर मतदान कराया गया, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने सरकार के विश्वास मत हारने की घोषणा की। जदएस-कांग्रेस के 17, बसपा के एक और दो निर्दलीय विधायकों ने कार्यवाही में हिस्सा नहीं लिया।
Hind Brigade
Editor- Majid Siddique