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सुप्रीम कोर्ट में बागियों पर फैसला आज, कल शक्ति परीक्षण की तैयारी

नई दिल्‍ली। Karnataka Political Crisis कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली 14 माह पुरानी कांग्रेस-जदएस गठबंधन सरकार के गुरुवार को होने वाले शक्ति परीक्षण से पहले सुप्रीम कोर्ट बुधवार को 15 बागी विधायकों के इस्तीफों पर फैसला सुनाएगा। मंगलवार को इस मामले में शीर्ष अदालत में सुनवाई पूरी हो गई। याचिका में बागी विधायकों ने मांग की है कि स्पीकर केआर रमेश कुमार को उनके इस्तीफे स्वीकार करने का आदेश दिया जाए।

अंतरिम आदेश बनाए रखने की मांग
प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की पीठ के समक्ष दलीलें पेश करते हुए बागी विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत से अंतरिम आदेश बनाए रखने की मांग की जिसमें बागी विधायकों के इस्तीफों और अयोग्यता के मुद्दे पर स्पीकर को यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा गया था। साथ ही उन्होंने बागी विधायकों को विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा जारी व्हिप से छूट प्रदान करने की मांग भी की।

फैसला लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकते 
मुख्यमंत्री कुमारस्वामी की ओर से पेश अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को दो अंतरिम आदेश जारी करने का अधिकार नहीं था। पहले शीर्ष अदालत ने स्पीकर से बागी विधायकों के इस्तीफों और अयोग्यता पर फैसला करने के लिए कहा और फिर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। स्पीकर को इस मामले में समयबद्ध तरीके से फैसला करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। बागी विधायक एक समूह के रूप में सरकार को अस्थिर कर रहे हैं और अदालत को उनकी याचिकाओं पर विचार नहीं करना चाहिए था।

यथास्थिति के पूर्व आदेश में हो संशोधन 
स्पीकर की ओर से पेश अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने शीर्ष अदालत को बताया कि पिछले साल जब मध्यरात्रि में सुनवाई के दौरान शक्ति परीक्षण का आदेश दिया गया था और बीएस येद्दयुरप्पा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया था, तब अदालत ने कर्नाटक विधानसभा स्पीकर के लिए कोई निर्देश जारी नहीं किया था। उन्होंने कहा कि स्पीकर बागी विधायकों की अयोग्यता और इस्तीफों पर बुधवार तक फैसला ले लेंगे, लेकिन अदालत को यथास्थिति के पूर्व आदेश में संशोधन करना चाहिए।

अयोग्यता से बचने के लिए इस्तीफा देना गलत नहीं 
मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि स्पीकर इन विधायकों के इस्तीफे लंबित नहीं रख सकते और ऐसा करके वह पक्षपातपूर्ण तरीके से काम कर रहे हैं। इस पर सिंघवी ने कहा, ‘स्पीकर से खास तरीके से फैसला करने के लिए कैसा कहा जा सकता है? ऐसे आदेश तो निचली अदालतों के लिए भी जारी नहीं किए जाते।’ वैध इस्तीफे स्पीकर के समक्ष पेश होकर दाखिल किए जाने चाहिए, जबकि विधायक उनके कार्यालय में इस्तीफे दाखिल करने के पांच दिन बाद 11 जुलाई को उनके समक्ष पेश हुए। रोहतगी ने कहा कि स्पीकर ने विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए ही इस्तीफों को लंबित रखा और अयोग्यता से बचने के लिए इस्तीफा देना गलत नहीं है।

सरकार के पक्ष में वोट करने के लिए बाध्य कर रहे स्पीकर 
पीठ ने मुकुल रोहतगी से पूछा कि क्या विधायकों की अयोग्यता पर फैसला करने के लिए स्पीकर संवैधानिक रूप से बाध्य हैं जिसकी प्रक्रिया इस्तीफों के बाद शुरू की गई है? इस पर रोहतगी ने कहा कि नियम तुरंत फैसला करने के लिए कहते हैं। स्पीकर इसे लंबित कैसे रख सकते हैं? उन्होंने अदालत से कहा कि राज्य सरकार अल्पमत में आ गई है और स्पीकर इस्तीफे स्वीकार नहीं करके बागी विधायकों को विश्वास मत पर सरकार के लिए वोट करने के लिए बाध्य करने की कोशिश कर रहे हैं। 

स्पीकर बोले, संविधान के मुताबिक कर रहा हूं काम
कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने मंगलवार को कहा कि वह संविधान के मुताबिक काम कर रहे हैं और अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। कोलार जिले में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद और उसका अध्ययन करने के बाद ही वह कोई जवाब देंगे। उन्होंने कहा, ‘मैं कोई ऐसा व्यक्ति नहीं हूं जो चुनौती देने जा रहा है.. मैं सिर्फ अपने कर्तव्य का निर्वहन करूंगा.. हर किसी को कल (बुधवार) तक इंतजार करना होगा।’

Hind Brigade

Editor- Majid Siddique


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