नई दिल्ली। लोकसभा में आज किसानों को लेकर एक बार फिर चर्चा की गई। केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला ने मंगलवार को कहा कि किसानों की आत्महत्या के बाद 2008 में पूर्व यूपीए सरकार में 70,000 करोड़ रुपये की ऋण माफी की घोषणा की गई थी। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री रूपाला ने यह भी कहा कि मेगा ऋण माफी योजना की घोषणा के बाद आयोजित एक ऑडिट की गई जिसमें पाया गया कि जो लोग किसान नहीं थे उन्हें भी ऋण माफी दी गई थी।
उन्होंने लोकसभा में प्रश्नकाल में कहा, '70,000 करोड़ रुपये की ऋण माफी योजना की घोषणा के बाद किसानों की आत्महत्या में वृद्धि हुई थी।' इस सवाल पर जवाब देते हुए कि क्या सुप्रीम कोर्ट ने किसानों की आत्महत्या को नियंत्रित करने के लिए सरकार को एक राष्ट्रीय नीति लाने का सुझाव दिया है, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 6 जुलाई, 2017 को अपने आदेश में कहा था कि इस तरह का मुद्दा रातोंरात नहीं निपटाया जाता। यह अटॉर्नी जनरल के लिए उचित है कि वह योजनाओं को उचित रूप से पूरा करने के लिए समय निकालें।