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अदालत ने सरकार से जेलों में कोविड-19 के प्रसार को रोकने के कदम के बारे में पूछा

मुंबई : महाराष्ट्र सरकार ने बम्बई उच्च न्यायालय को सूचित किया कि राज्य की जेलों में 23,127 कैदियों को रखने की क्षमता है, लेकिन वर्तमान में 47 जेलों में 35,124 कैदी बंद हैं। राज्य की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने अदालत को बताया कि 18 अप्रैल की स्थिति के अनुसार राज्य में 188 कैदी जांच में कोविड​​-19 से संक्रमित पाये गए हैं। कुंभकोनी ने यह बात मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्त और न्यायमूर्ति जी. एस. कुलकर्णी की पीठ के समक्ष कही। पीठ ने राज्य की जेलों में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बारे में समाचार पत्रों में आयी खबरों पर स्वत: संज्ञान लिया था और इस मुद्दे को एक आपराधिक जनहित याचिका में शामिल किया था। पीठ ने जेलों में संक्रमण को नियंत्रित करने के तरीकों के बारे में राज्य से मंगलवार को कई सवाल किये। अदालत ने पूछा कि क्या जेलों में कैदियों की संख्या कम करने के लिए बड़ी संख्या में कैदियों को आपातकालीन पैरोल दी जा सकती है और क्या 45 वर्ष से अधिक उम्र के कैदियों को टीका लगाया जा सकता है। पीठ ने राज्य से यह भी पूछा कि क्या वह यह सुनिश्चित कर सकता है कि जिन व्यक्तियों को अभी गिरफ्तार किया जा रहा है, उनकी कोविड-19 जांच की जाए और यदि उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आये तो ही उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाए। पीठ ने साथ ही यह भी जानना चाहा कि क्या 45 साल से अधिक उम्र के कैदियों को टीका लगाना राज्य के लिए संभव होगा। पीठ ने राज्य को निर्देश दिया कि वह बृहस्पतिवार को सुनवाई की अगली तारीख तक उसके प्रश्नों का उत्तर दे और संक्रमण के प्रसार को कम करने के लिए अपने सुझाव भी दे। अदालत ने पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) और उसके वकील मिहिर देसाई को भी अदालत की सहायता के लिए जनहित याचिका में पक्षकार के तौर पर शामिल करने की अनुमति दी।



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