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Arun Jaitley Passes Away- तेज दिमाग और व्यावहारिक नजरिये के लिए जाने जाते थे

नई दिल्ली। Arun Jaitley Passes Away- पूर्व कानून और वित्त मंत्री, भाजपा के वरिष्ठ नेता और देश के जान-माने वकील अरुण जेटली वकीलों के बीच अपने तेज दिमाग और व्यावहारिक नजरिये के लिए जाने जाते थे। बहुत जल्दी केस को समझ लेना और स्वयं अपने नोट्स तैयार करना उनकी खासियत थी। वह एक ऐसे वरिष्ठ वकील थे जो कानूनी बारीकियों के साथ हमेशा केस के तथ्यों को भी ध्यान से पढ़ते थे और उन्हें भी नोट्स में शामिल करते थे ताकि अदालत के किसी सवाल पर मात ना खानी पड़े। 

सभी के पास कुछ न कुछ बताने को है

अरुण जेटली ने वकालत के लंबे कॅरियर में वैसे तो बहुत लोगों के साथ काम किया और सभी के पास उनके बारे में कुछ न कुछ बताने को है, लेकिन देश के जाने-माने वकील व पूर्व अटार्नी जनरल मुकळ्ल रोहतगी की उनसे अभिन्न मित्रता थी। दोनों ने 20 साल तक साथ-साथ लंच किया। रोहतगी बताते हैं कि उन्होंने बहुत से केस साथ-साथ लड़े। कभी दोनों एक तरफ होते थे तो कभी विरोधी पक्ष में होते थे, लेकिन इसका असर उनकी दोस्ती पर नहीं पड़ा। दिल्ली हाई कोर्ट में जब दोनों लोग वकालत किया करते थे तब 1978 से लेकर 1998 तक रोजाना दोनों लोगों ने हाई कोर्ट में साथ-साथ लंच किया। 

कानून और संवैधानिक मुद्दों पर थी पकड़

कानून और संवैधानिक मुद्दों पर अरुण जेटली की कितनी पकड़ थी, इस बारे में रोहतगी बताते हैं कि सरकार और महत्वपूर्ण पदों पर रहने के कारण जेटली जी करीब दस वर्षों से वकालत नहीं कर रहे थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से आए बड़े-बड़े फैसलों जैसे निजता का अधिकार, सबरीमाला, तीन तलाक आदि पर उन्होंने ब्लॉग लिखे, जो ये साबित करते हैं कि उनकी कानून पर कितनी पकड़ थी और वह सक्रिय वकालत में न होने के बावजूद हर फैसले को कितने ध्यान से पढ़ते और समझते थे। रोहतगी कहते हैं कि जब वह अटार्नी जनरल थे उस समय भी बड़े-बड़े मामलों में वह जेटली जी से चर्चा और मशविरा करते थे। वह बताते हैं कि अरुण जेटली की याददाश्त बहुत अच्छी थी। 

सालों पुरानी बातें याद रखते थे 

40-50 साल पुरानी बातें भी उन्हें वैसे ही याद रहती थीं। फिल्मों का भी उन्हें अच्छा ज्ञान था। यहां तक कि किस फिल्म का कौन सा गाना किसने लिखा, किसने संगीत दिया और किसने गाया, वह तुरंत बता देते थे। इलाहाबाद हाइ कोर्ट के न्याधीश चंद्रधारी सिंह भी अरुण जेटली के साथ वकालत के अनुभव साझा करते हुए कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड (एओआर) रहने के दौरान उन्होंने बहुत से वकीलों को ब्रीफ किया। हरीश साल्वे, मुकुल रोहतगी, सोली सोराबजी और बहुत से जाने-माने वकील हैं, लेकिन अरुण जेटली में एक खासियत यह थी कि वह बहस के लिए सारी तैयारी खुद करते थे। वह अपने जूनियरों की मदद नहीं लेते थे, बल्कि स्वयं फाइल का एक-एक पेज पढ़ते थे और नोट्स तैयार करते थे। 

Hind Brigade

Editor- Majid Siddique


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