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सुषमा स्वराज ने हरियाणा से शुरू किया था राजनीतिक सफर, लड़ी थी SYL की लड़ाई

चंडीगढ़: पूर्व विदेश मंत्री और भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज का आज रात करीब 11 बजे दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। सुषमा पिछले कुछ महीनों से बीमार चल रही थीं, जिस वजह उन्होंने लोकसभा चुनाव भी लडऩे से मना कर दिया था। दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल करने वाली सुषमा ने किसी राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता बनने की भी उपलब्धि अपने नाम की है। उल्लेखनीय है कि भाजपा सरकार में राष्ट्रीय मंत्री बनने वाली पहली महिला सुषमा स्वराज ही थीं।

सुषमा स्वराज के नाम कई कीर्तिमान हैं, जिसे अब देश याद करेगा। तत्कालीन पंजाब के अंबाला छावनी में जन्मी सुषमा स्वराज ने पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से कानून की डिग्री ली। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पहले जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। आपातकाल का पुरजोर विरोध करने के बाद वे सक्रिय राजनीति से जुड़ गई थीं। सुषमा स्वराज भारतीय संसद की प्रथम और एकमात्र ऐसी महिला सदस्या थीं, जिन्हें आउटस्टैंडिंग पार्लिमैण्टेरियन सम्मान मिला।
1977 में जब वह 25 साल की थीं, तब तक हरियाणा का गठन हुए 10 साल हो चुका था, तब वे हरियाणा में चौधरी देवीलाल की सरकार में पहली महिला कैबिनेट मंत्री बनी। यहीं से उनका राजनीतिक सफर शुरू हुआ। वह भारत की सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनी थी। वह 1977 से 1979 तक सामाजिक कल्याण, श्रम और रोजगार जैसे 8 मंत्रालय मिले थे। जिसके बाद 27 साल की उम्र में 1979 में वह हरियाणा में जनता पार्टी की राज्य अध्यक्ष बनी थीं।

हरियाणा की चौधरी देवीलाल सरकार में 2 बार मंत्री रहने वाली सुषमा स्वराज ने 1985-86 न्याय युद्ध जो एसवाईएल को लेकर देवीलाल-मंगलसेन की जोड़ी के नेतृत्व में लड़ा गया, उसमें महिलाओं के नेतृत्व सुषमा स्वराज ने ही किया था। करनाल ब्राह्मण लोकसभा सीट से दो बार चुनाव लडऩे वाली सुषमा को लाल कृष्ण आडवाणी इन्हें केंद्र की राजनीति में ले गए। सुषमा ने 80 के दशक में गठित होने वाली भाजपा की सदस्यता ली।

अंबाला कैंट रेजिमेंट बाजार की रहने वाली सुषमा स्वराज 1990 में अंबाला कैंट सीट छोड़कर राज्यसभा चली गई थी। 1987 से 1990 तक दोबारा अंबाला छावनी से विधायक बनी और भाजपा लोकदल संयुक्त सरकार में शिक्षा मंत्री रही। अप्रैल 1990 में उन्हें राज्यसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया। यहां से सुषमा स्वराज ने केंद्र की राजनीति में कदम रखा। 

सुषमा स्वराज अभी बीती 18 दिसम्बर को अंबाला कैंट स्थित अपने घर भाई का हाल चाल पूछने आई थी। इंदिरा गांधी के बाद सुषमा स्वराज दूसरी ऐसी महिला थीं, जिन्होंने विदेश मंत्री का पद संभाला था। बीते चार दशकों में वे 11 चुनाव लड़ीं, जिसमें तीन बार विधानसभा का चुनाव लड़ीं और जीतीं। सुषमा सात बार सांसद रह चुकी थीं।

Hind Brigade

Editor- Majid Siddique


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