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23 साल बाद बम कांड में जेल से बरी होकर मां-बाप की कब्र पर फूट-फूटकर रोया बेगुनाह

जयपुर। राजस्थान के दौसा में 23 साल पहले 1996 में रोडवेज बस में हुए विस्फोट के मामले में राजस्थान हाई कोर्ट ने दो लोगों की सजा बरकरार रखते हुए सात अन्य को बरी कर दिया है। इनमें एक उत्तर प्रदेश के आगरा का रईस बेग भी है, जिसे 1997 में इस मामले में आरोपित बना कर जेल भेज दिया गया था।

न्यायाधीश न्यायमूर्ति सबीना व न्यायमूर्ति गोवर्धन बाढ़दार की खंडपीठ ने राज्य सरकार तथा अभियुक्तों की अपीलों पर उक्त आदेश दिया। रईस व अन्य सभी को मंगलवार को रिहा कर दिया गया। कोर्ट ने मामले में डॉ. अब्दुल हमीद की फांसी व पप्पू उर्फ सलीम की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है।

गौरतलब है कि 22 मई 1996 को राजस्थान रोडवेज की बस आगरा से बीकानेर जा रही थी। इसमें करीब 50 यात्री सवार थे। दौसा में महुआ से करीब चार किलोमीटर आगे समलेटी में बस में विस्फोट हो गया, जिससे 14 लोगों की मौत हो गई। मामले में 12 लोगों को आरोपित बनाया गया।

29 सितंबर 2014 को बांदीकुई अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ने अब्दुल हमीद को फांसी की सजा सुनाई। अन्य आरोपितों रईस बेग, जावेद खान जूनियर, लतीफ अहमद बाजा, मोहम्मद अली भट्ट, मिर्जा निसार हुसैन व अब्दुल गोनी, पप्पू उर्फ सलीम को उम्रकैद की सजा मिली। सभी ने अपनी सजा को हाई कोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट में एक अन्य आरोपित फारुख का मामला भी कोर्ट में आया। इस मामले में अभियुक्त रियाज अहमद शेख की मौत हो चुकी है और कंवलजीत बरी हो चुका है।

हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद जावेद खान, लतीफ अहमद, मोहम्मद अली भट्ट, मिर्जा निसार हुसैन, अब्दुल गोनी व रईस बेग को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इनके खिलाफ कोई अन्य मामला नहीं हो तो 25-25 हजार रुपये के निजी मुचलकों पर उन्हें छोड़ दिया जाए। मुचलके छह माह तक प्रभावी रहेंगे।

जेल से निकलने के बाद रईस बेग और अन्य लोगों ने कहा कि वे लोग तो आपस में एक दूसरे को जानते भी नहीं थे। आज हमें रिहा तो कर दिया, लेकिन हमारे 23 साल जेल में चले गए, ये साल हमें कौन लौटाएगा।

फूट-फूटकर रोया बेगुनाह
इनमें ही एक मोहम्मद अली भट्ट नामक एक शख्स भी है, जिसे भी बाइज्जत बरी कर दिया गया। यह जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर का रहने वाला है। अब जब इतने साल बाद घर पहुंचा तो मां-बाप के ना दिखने पर विचलित हो गया। तब उन्हें बताया गया कि उन्हें आने में काफी देर हो गई, अब उनके माता-पिता नहीं रहे।

Aakash Hassan@Aakashhassan
 

Accused of terrorism and jailed for 23 years, Ali Mohammad, a resident of Srinagar was not found guilty, along with four other. But he lost his youth, parents and almost 2-and-a-half decade of his life. First thing he did when he returned home ⬇️⬇️

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इसके बाद वह उनकी कब्र पर गए और फूट-फूटकर रोने लगे। अली भट्ट का यह वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। कारपेट का कारोबार करने वाले भट्ट ने अपने जीवन के करीब ढाई दशक जेल में बिताए।

Hind Brigade
Editor- Majid Siddique

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