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भारत के रुपये ही नहीं चीन के युआन में भी भारी गिरावट, जानिए क्यों

भारतीय रुपये में गिरावट का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है. गुरुवार को एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 18 पैसे टूटकर 68.78 के स्तर पर बंद हुआ. जबकि, कारोबार की शुरुआत में  रुपया 28 पैसे की भारी कमजोरी के साथ 68.89 के स्तर पर खुला था. इससे पहले बुधवार को रुपया 36 पैसे की कमजोरी के साथ 68.61 के स्तर पर बंद हुआ था.
इस साल रुपये में अबतक 7 फीसदी की गिरावट आ चुकी है और पूरे एशिया में रुपये का सबसे खराब प्रदर्शन दिखा है. बता दें कि डॉलर में बढ़त से रुपये पर दबाव बना है. कच्चे तेल में तेजी से रुपये पर दोहरा दबाव बना है. इस साल रुपया अब तक 8 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है. इससे देश में महंगाई बढ़ने का खतरा बन गया है क्यों गिरा चीन का युआन-एक्सपर्ट्स बताते हैं कि ट्रेड वॉर तेज होने और युआन में गिरावट से रुपये सहित इमर्जिंग मार्केट्स की करेंसी पर दबाव बना. अमेरिका ने भारत सहित मित्र देशों से ईरान से तेल की खरीदारी बंद करने को कहा है. इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में तेजी आई. इसका भी रुपये पर बुरा असर पड़ा. उन्होंने कहा कि आगे भी भारतीय करेंसी पर दबाव बना रह सकता है और यह नए ऑल टाइम लो लेवल तक जा सकता है.

चीन की करेंसी युआन 6 महीने के निचले स्तर पर आ गई हैं. वहीं, डॉलर के मुकाबले दूसरे इमर्जिंग देशों की करेंसी में भी कमजोरी आई. इन देशों में रुपये का प्रदर्शन सबसे खराब चल रहा है. भारतीय करेंसी का अब तक का सबसे निचला स्तर 68.85 का है. रुपया 24 नवंबर 2016 को इस लेवल तक गया था. इससे पिछला लो लेवल 68.85 का था. 28 अगस्त 2013 को भारतीय करेंसी ने यह लेवल छुआ था.

दिनभर रुपये की चाल-रुपये ने गुरुवार को सारी हदें पार कर दी और दिन के कारोबर में ये डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर गिर गया और 1 डॉलर की कीमत 69 रुपए के ऊपर चली गई. लेकिन कारोबार के अंतिम दौर में इसमें निचले स्तरों से रिकवरी देखने को मिली और अंत में डॉलर के मुकाबले रुपया आज 18 पैसे टूटकर 68.78 के स्तर पर बंद हुआ.

क्यों आई गिरावट-अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर बढ़ने की आशंकाओं के चलते भारतीय करंसी पर दबाव बना रहा. इसके अलावा महीने के आखिर में ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (HPCL, IOC, BPCL) की ओर से डॉलर की मांग बढ़ जाती है. इसीलिए महीने के अंत में भारतीय रुपया कमजोर हो जता हैं.रुपये में आई कमजोरी के बारे में एचएसबीसी इंडिया में फिक्स्ड इनकम और ग्लोबल मार्केट्स के हेड और एमडी मनीष वधावन ने कहा, ट्रेड वॉर की आशंका के चलते जब डॉलर में मजबूती आई रही है तो भारत भी उसके असर से बचा नहीं रह सकता. भारत ट्रेड डेफिसिट वाला देश है. इसलिए इन हालात में रुपये में कमजोरी स्वाभाविक है. कच्चे तेल के दाम में तेजी आने से भी भारतीय करेंसी पर दबाव बढ़ा है इस साल 7% कमजोर हो चुका है रुपया-रुपए ने बीते साल डॉलर की तुलना में 5.96 फीसदी की मजबूती दर्ज की थी, जो अब 2018 की शुरुआत से लगातार कमजोर हो रहा है. इस साल अभी तक रुपया लगभग 7 फीसदी टूट चुका है. इससे पहले रुपए ने 24 नवंबर, 2016 को प्रति डॉलर 68.68 का ऐतिहासिक निचला स्तर छुआ था और 28 अगस्त, 2013 को 68.80 का लाइफटाइम निचले स्तर पर पहुंचा था.


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