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कोर्ट के बाहर सुलझ सकता है अयोध्या मामला, सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़ा मध्यस्थता को तैयार

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बीच अयोध्या मामले ने रोचक मोड़ ले लिया है। कोर्ट में लगभग 3 हफ्ते की सुनवाई के बाद अब हिन्दू और मुस्लिम पक्ष ( सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़ा) एक फिर से कोर्ट के बाहर इस मुद्दे को सुलझाना चाहते हैं। इसके लिए दोनों पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मध्यस्थता पैनल को पत्र लिखा है। 

पांच महीने चली  मध्यस्थता की कोशिश
बता दें कि सु्प्रीम कोर्ट ने रोजाना सुनवाई शुरू करने से पहले आपसी सहमति से सुलझाने के लिए मध्यस्थता पैनल गठित किया था। इस पैनल में सेवानिवृत न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्य थे। इस पैनल की अगुवाई में पांच महीने तक कई दौर की मध्यस्थता कार्यवाही चली लेकिन मामले का हल नहीं निकला। इसके बाद कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की संविधानपीठ ने मामले की रोजाना सुनवाई शुरू की।

मुस्लिम पक्ष रख रहा दलील
पिछले महीने छह अगस्त से इस केस की रोजाना सुनवाई जारी है। 23 दिन की सुनवाई में हिन्दू पक्ष की दलील पूरी हो गई है। इस समय मुस्लिम पक्ष अपना दलील रख रहा है। पांच जजों की संविधानपीठ में रंजन गोगोई के अलावा एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड, अशोक भूषण और एस. अब्दुल नजीर भी शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट में 2010 से लंबित है मामला
सुप्रीम कोर्ट में कुल 14 अपीलें, तीन रिट पीटिशन और एक अन्य याचिका लंबित है। सुनवाई की शुरूआत मूल वाद संख्या 3 और 5 से हुई। मूल वाद संख्या 3 निर्मोही अखाड़ा और मूल वाद संख्या पांच भगवान रामलला विराजमान का मुकदमा है। गौरतलब है कि साल 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राम जन्मभूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। कोर्ट ने इस दौरान एक हिस्सा भगवान रामलला विराजमान, दूसरा निर्मोही अखाड़ा व तीसरा हिस्सा सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड को देने का आदेश था। इस फैसले को  हिन्दू मुस्लिम सभी पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट में ये अपीलें 2010 से लंबित हैं और कोर्ट के आदेश से फिलहाल अयोध्या में यथास्थिति कायम है।

Hind Brigade

Editor- Majid Siddique


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